मुंबई. राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद से कांग्रेस में इस्तीफों का दौर जारी है। रविवार को पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, सिंधिया ने बताया कि वे 8-10 दिन पहले राहुल गांधी को इस्तीफा सौंप चुके हैं।
सिंधिया ने रविवार को ट्वीट किया, ”लोगों का जनादेश और अपनी जिम्मेदारी स्वीकारते हुए मैंने अपना इस्तीफा राहुल गांधी को सौंप दिया है।” सिंधिया को लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उप्र की जिम्मेदारी मिली थी। हालांकि, वहां कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई।
राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार- देवड़ा
मिलिंद देवड़ा ने कहा कि वे पार्टी में स्थायित्व लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हैं। देवड़ा लोकसभा चुनाव से पहले ही मुंबई अध्यक्ष बनाए गए थे। उन्होंने मुंबई साउथ से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जहां शिवसेना उम्मीदवार अरविंद सावंत के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
देवड़ा ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और चुनाव से पहले किसी तरह का कोई संकट पैदा नहीं हो इसके लिए तीन वरिष्ठ नेताओं का एक पैनल गठित करने का भी प्रस्ताव दिया। देवड़ा के ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी के प्रदेश प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे को अपने इस्तीफे की सूचना दे दी है।
निरूपम ने देवड़ा के इस्तीफे पर सवाल उठाए
कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने देवड़ा के इस्तीफे पर सवाल उठाए। निरूपम ने कहा कि जब कोई कुछ नहीं करना चाहता तब इस्तीफा दिया जाता है। लेकिन यहां राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी मांगी जा रही है। ये इस्तीफा है या ऊपर चढ़ने की सीढ़ी।
राहुल 25 मई को इस्तीफे की पेशकश की थी
वायनाड से सांसद राहुल गांधी 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए 25 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि, पार्टी ने इसे स्वीकार नहीं किया था। पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल के इस्तीफे के खिलाफ थे। लेकिन इसके बाद भी राहुल लगातार इस पर अड़े रहे।
राहुल ने 3 जुलाई को 4 पेज का लेटर ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद छोड़ने की बात कही थी। उन्होंने पार्टी को कड़े फैसले लेने और बाकी नेताओं की जवाबदेही भी तय करने की बात भी कही थी। इसके बाद से कांग्रेस के कई प्रदेश अध्यक्षों, महासचिवों समेत तमाम पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया।