दूरसंचार कंपनियों की मुश्किल होगी दूर, सरकार ने नियमों में दी ढील

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Telecom कंपनियों के लिए सरकार ने नियमों में ढील दी है। दरअसल, सरकार ने दूरसंचार लाइसेंस नियमों में संशोधन किया। इसके तहत सभी गैर-दूरसंचार राजस्व, लाभांश, ब्याज, संपत्ति बिक्री और किराये समेत अन्य को लाइसेंस शुल्क तथा स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क की गणना से बाहर किया गया है। इसका उद्देश्य दूरसंचार परिचालकों पर कर बोझ को कम करना है। संशोधन केंद्र सरकार द्वारा घोषित दूरसंचार पैकेज का हिस्सा है।

Telecom कंपनियों के लिए सरकार ने नियमों में ढील दी है। दरअसल सरकार ने दूरसंचार लाइसेंस नियमों में संशोधन किया। इसके तहत सभी गैर-दूरसंचार राजस्व लाभांश ब्याज संपत्ति बिक्री और किराये समेत अन्य को लाइसेंस शुल्क तथा स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क की गणना से बाहर किया गया है।

उल्लेखनीय है कि समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की पुरानी परिभाषा को उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा है। इससे भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया समेत दूरसंचार सेवाप्रदाताओं पर करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है।

दूरसंचार विभाग के सोमवार को किये गये संशोधन के तहत कंपनियों के सकल राजस्व में से इन स्रोतों की आय को घटाने के बाद लागू समायोजित सकल राजस्व (एपीजीआर) की गणना की जाएगी।

इसके बाद पुराने नियमों के तहत पहले से छूट वाली श्रेणियों मसलन रोमिंग आय, इंटरकनेक्शन शुल्क और माल और सेवा कर को घटाया जाएगा और फिर अंतिम एजीआर निकाला जाएगा। इसके आधार पर सरकार राजस्व में अपनी हिस्सेदारी की गणना करती है।

दूरसंचार विभाग ने कहा, ‘‘संशोधन एक अक्टूबर, 2021 से प्रभाव में आ गया है। और उक्त तिथि के बाद लाइसेंसधारक के संचालन से जुड़ी बकाया राशि पर लागू होगा।’’ विभिन्न गैर-दूरसंचार राजस्व के स्रोतों पर छूट से शुल्कों में उल्लेखनीय कमी की उम्मीद है।

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