उपलब्धि : सरकारी योजनाओं का फायदा पहुंचाने के लिए शुरू की कंपनी, अब तक एक लाख परिवारों की मदद की

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नई दिल्ली.  अमूमन कमजोर या सामाजिक रूप से वंचित तबके के बीच सामाजिक संगठन (एनजीओ) ही काम करते हैं, लेकिन 29 साल अनिकेत डोगरे ने अपने स्टार्टअप के जरिए इस सोच को बदल डाला। हकदर्शक नाम के स्टार्टअप के जरिए अनिकेत ने महज पांच साल में ही एक लाख से ज्यादा परिवारों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचा दिया। इसी वजह से अनिकेत को दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स ने सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों की एशिया अंडर 30 सूची में स्थान दिया है।

अनिकेत ने बड़ी कंपनियों के कॉरपोरेट सोशल फंड के साथ-साथ एनजीओ और सरकार के फंड से लोगों की मदद की। यही नहीं, सरकार द्वारा तय किए शुल्क से ही लोगों तक विभिन्न सेवाएं पहुंचा दीं। अपने इस अनूठे आइडिया के दम पर उनके स्टार्टअप से करीब 15 हजार महिला उद्यमी जुड़ी हुई हैं जो फील्ड में कमजोर तबके के परिवारों तक पहुंच कर उन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा पहुंचाने का काम करती हैं। इस स्टार्टअप के पास 117 कर्मचारियों की कोर टीम है। यह टीम सरकारी योजनाओं को आसान भाषा में हकदर्शक की वेबसाइट पर उपलब्ध कराती है।

इंटर्नशिप के लिए एनजीओ के साथ काम किया तो आइडिया आया

शिमला में रहने वाले अनिकेत बचपन में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाया करते थे। दिल्ली स्थित श्री राम कॉलेज ऑफ कामर्स से स्नातक करने के दौरान भी पढ़ाने का सिलसिला जारी रखा। अनिकेत बताते हैं कि टीच फॉर इंडिया की फैलोशिप के लिए पुणे में झुग्गी बस्तियों में काम किया तो पता चला कि लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं है। तब उन्हें हकदर्शक स्टार्टअप शुरू करने का आइडिया आया। आज उनसे आइटीसी, गोदरेज समेत 100 से ज्यादा कंपनियां जुड़ी हैं।

17 राज्यों में काम कर रही कंपनी, 2015 में मिली पहली फंडिंग 
2015 में उनके स्टार्टअप के लिए एंजेल फंडिंग मिली। महज पांच साल में टर्नओवर 6 करोड़ रुपए हो गया। 17 राज्यों में कंपनी काम कर रही है। अब अनिकेत का लक्ष्य है निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले 10 करोड़ मजदूरों की मदद कर उन तक सरकारी योजनाएं पहुंचाई जाए। हकदर्शक ने करीब 10 हजार लोगों को आयुष्मान भारत, 15 हजार को प्रधानमंत्री आवास, 10 हजार को उज्ज्वला योजना के सिलेंडर और करीब 40 हजार परिवार को राशन कार्ड, पैन कार्ड, आधार जैसेे दस्तावेज बनवाने में मदद की है।

50 से 100 रुपए के मामूली शुल्क में उपलब्ध कराते हैं सेवाएं 
कंपनी सरकार द्वारा तय किए गए शुल्क ही लेती है। यह शुल्क 50 से 100 रुपए तक होता है। आधार बनवाने के लिए कोई शुल्क नहीं होता है। उनकी टीम का मुख्य काम ऐसे लोगों तक पहुंचना होता है जो किसी भी सरकारी योजनाओं की पहुंच में नहीं हैं। इसके लिए उनकी 15 हजार महिलाओं की टीम काम में आती है। करीब 20 कर्मचारी केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं को स्थानीय भाषा में अनुवाद कर वेबसाइट पर अपलोड करते हैं। अनुवाद इस स्तर का होता है कि कोई भी आसानी से समझ ले।

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