बच्चे को जन्म देने वाली नाबालिग की आपबीती

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जोधपुर में एक शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। 12 साल की एक नाबालिग ने बच्चे को जन्म दिया। भास्कर ने बच्ची के हाल जानने अस्पताल पहुंचा तो लेबर रुम में एक बेड पर लेटी नाबालिग मां आंखे कमरें की छत को ताक रही थी। पास ही लेटे नवजात की किलकारियां उसे नहीं भा रही थीं। मन में पछतावा था कि काश मां को बता दिया होता। अपने ही बच्चे को कभी ममता भरी नजर से देखती तो दूसरे ही पल उसके मन का भाव बदल जाते। वह समझ ही नहीं पा रही थी कि जो बच्चा पास लेटा है वह उसका ही है।

जब उसके इस बारे में पूछा तो बोली मां को पता है। वो जैसे बोलेगी वह में करूंगी। इसके बाद कुछ नहीं बोली। उसके मन में जो उथल-पुथल चल रही थी। उसे शब्दों में बयां करना संभव नहीं। जब पूछा कि वह इस बारे में जान चुकि थी तो बोली शरीर में बदलाव आने पर उसको समझ आ गया। डर ने रोके रखा। मां क्या कहेगी डाटेगी। कई बातें मन में चलती रहीं। उसने बताया कि स्कूल खुला होता तो सहेलियों से बात शेयर कर लेती। घर में उससे छोटे चार भाई-बहन है। घर में वह सबसे छोटी है ऐसे में वह अपनी बात शेयर नहीं कर पाई।

स्कूल जाते समय जीप में डाल ले गए

12 साल की नाबालिग आज भी नौ माह पहले हुई उस घटना का सोच का डर जाती है। उसी के स्कूल में पढ़ने वालों ने इसके साथ दुष्कर्म किया। उसने बताया कि दो लड़के उसकी स्कूल के 9वीं कक्षा में पढ़ते हैं। जो उसे उसे जीप में डाल कर ले गए थे।

परिवार को पहले लगा घर बैठे खाने से शरीर में हो रहा बदलाव

नाबालिग की मां ने बताया कि वह बेटी की प्रेग्नेंसी को नहीं समझ पाई। शरीर में बदलाव तो था, लेकिन उसे लगा कि घर में बैठे दूध-दही ज्यादा खाने से भी शरीर बन गया है। कल उसने पेट दर्द की शिकायत की तब उसे अस्पताल लाने पर जानकारी मिल सकी। मां ने बताया कि बेटी रोज मंदिर जाने से मना करती थी। बहाना बना कर टाल रही थी। समझ नहीं पाए इसके पीछे कारण क्या रहा।

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि बच्ची को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। आयोग इस दिशा में प्रसंज्ञान ले रहा है। बेनीवाल ने बताया कि नाबालिग से बात करने पर उसके दर्द की कहानी सामने आई। आरोपियों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई करने की मांग की है।

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