बिहार में 96 डॉक्टरों की मौत का कारण तलाशेगी 8 डॉक्टरों की टीम, कोरोना को हराने के बाद सरकार से मांगा जाएगा हिसाब

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बिहार में डॉक्टरों की मौत का राज खंगाला जाएगा। देश में सबसे अधिक डॉक्टरों की मौत बिहार में क्यों हुई और इसके पीछे क्या बड़ा कारण था, इस बात की पूरी पड़ताल की जाएगी। एक-एक डॉक्टर की मौत पर पूरी स्टडी के साथ रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके लिए IMA ने 8 डॉक्टरों की एक टीम बनाई है, जो हर पहलू पर जांच करेगी। विशेष टीम की कमान IMA के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ सहजानंद प्रसाद के हाथ में होगी। जांच पूरी होने और कोरोना को हराने के बाद IMA सरकार से अपने अधिकार की बात करेगा।

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बिहार में 96 से अधिक डॉक्टरों की मौत

IMA का कहना है कि कोविड-19 की इस दूसरी लहर में अब तक बिहार में 96 से अधिक डॉक्टरों की मौत हुई है। IMA ने 96 से अधिक डॉक्टरों की सूची जारी करते हुए कहा है कि अब एक-एक डॉक्टर की मौत का राज खंगाला जाएगा। IMA के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह का कहना है कि देश के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में बिहार में सबसे अधिक डॉक्टरों की मौत हुई है। IMA बिहार राज्य शाखा अब इस पर पूरी पड़ताल करने जा रहा है। मौत के कारणों का पता लगाने के लिए एक समिति का गठन किया है।

जांच के लिए यह है टीम

डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह, चेयरमैन

डॉ. अजय कुमार, संयोजक

डॉ. (कैप्टन) वी.एस. सिंह, सदस्य

डॉ. मंजू गीता मिश्रा, सदस्य

डॉ. बसंत सिंह सदस्‍य

डॉ. डी.पी. सिंह, सदस्‍य

डॉ. राजीव रंजन, सदस्‍य

डॉ. सुनील कुमार, राज्य सचिव

इन सवालों का ढूंढ़ना है जवाब

  • कोरोना काल में डॉक्टरों की मौत का कारण
  • अन्य राज्यों से अधिक डॉक्टर बिहार में क्यों मरें
  • सरकार द्वारा दिए गए संसाधन में कोई कमी तो नहीं
  • ऑक्सीजन और बेड की व्यवस्था नहीं हो पाना

IMA ने कहा- कोरोना से लड़ाई के बाद होगी सरकार से बात

IMA के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह ने कहा कि कमेटी पूरी जांच रिपोर्ट तैयार करेगी। उनका कहना है कि कोरोना काल में वह जान देकर भी लोगों की जान बचाएंगे, लेकिन जब कोरोना ढलान पर होगा तो सरकार से अपने हित की बात करेंगे। उन्होंने कहा कि मांग की जाएगी कि सरकार सभी सरकारी और निजी अनुबंधित हॉस्पिटल में डॉक्टरों के लिए बेड रिजर्व में रखे। कोरोना काल में डॉक्टर समाज को बचाने के साथ आम लोगों को भी बचाने पर बड़ा काम किया जा रहा है। उनका कहना है कि सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की जाए, इसमें कोविड या नान कोविड हॉस्पिटल, सभी को ऑक्सीजन दिए जाएं।

किसी अस्पताल में डॉक्टर मरता है तो उसे सहायता राशि दी जाए

IMA ने कहा है कि डॉक्टर किसी भी हॉस्पिटल में मरता है, तो उसके लिए सहायता राशि दी जाए। सरकार ने डॉक्टरों से आग्रह किया था कि कोरोना काल में भी इलाज के लिए डिस्पेंसरी अस्पताल खोले जाएं। ऐसे में डॉक्टरों की संक्रमण से मौत पर सरकार को गंभीर होना चाहिए। हर डॉक्टर ने मरीज की जान बचाने में ही अपनी जान गंवाई है। सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हॉस्पिटल छोटा हो या बड़ा, सभी में मरने वाले डॉक्टर के परिवार को सहायता राशि मिलनी चाहिए। IMA ने कहा है कि डॉक्टरों के लिए हर अस्पताल में कम से कम दो बेड रिजर्व होना चाहिए।

ऐसे तो जाती रहेगी डॉक्टरों की जान

नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कहना है कि उनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्हें ऐसा मास्क दिया जा रहा है जो संक्रमण को रोकने के बजाए संक्रमण का खतरा पैदा कर सकता है। अधीक्षक के सामने मामला लाने के बाद अब वह इस मामले में डीएम और डीडीसी से शिकायत किए हैं। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि नालंदा मेडिकल कॉलेज डेडिकेटेड हॉस्पिटल है और वहां N95 के नाम पर डमी मास्क दिया जा रहा है। डॉक्टरों का आरोप है कि जो मास्क सप्लाई किया जा रहा है, वह जानलेवा है। उनका आरोप है कि इसी कारण से बिहार में डॉक्टरों की मौत अधिक हुई है क्योंकि यहां संसाधन में खामियां है। सरकार डॉक्टरों को ऐसा मास्क तक नहीं दे पा रही है जिससे डॉक्टर की सुरक्षा हो सके। डॉक्टर जान बचाने के लिए खुद मास्क खरीद कर पहन रहे हैं।

IMA के पूर्व अध्यक्ष ने कहा- संसाधन हैं मौत का कारण

IMA बिहार के पूर्व अध्यक्ष और राष्ट्रीय मेडिकल मंच के कन्वेनर डॉ सच्चिदानंद का कहना है कि बिहार में डॉक्टरों की होने वाली सबसे अधिक मौत का कारण संसाधन में कमी और ओवर ड्यूटी है। बिहार में डॉक्टरों की कमी के कारण काम का दबाव काफी अधिक है। बुखार हो कोई और परेशानी इसके बाद भी काम करना पड़ रहा है। डॉक्टरों को पहली लहर में यह व्यवस्था थी कि काम के बाद क्वारंटाइन होते थे। इससे परिवार के साथ खुद को बचा पाते थे, लेकिन इस बार यह व्यवस्था नहीं है। इस कारण से ही बड़ी समस्या आ रही है। डॉक्टरों की मौत का यह बड़ा और मेजर कारण है।

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