IPO में निवेश करते वक्त नुकसान से बचने के लिए जरूर रखें इन बातों का ध्यान

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 साल 2021 में बाजार में निवेशकों के बढ़ते उत्साह को देखते हुए कई सारी कंपनियों ने अपने Initial public offer (IPO) को लॉन्च किया है। कंपनियां ऊंची कीमतों पर निवेशकों के अपने शेयर ऑफर कर रही हैं। काफी अधिक लिक्विडिटी और निवेश का अन्य मौके उपलब्ध नहीं होने के कारण निवेशक इन IPOs में अधिक वैल्यूएशन के बावजूद लिस्टिंग पर मुनाफा कमाने के लिए पैसे लगा रहे हैं। इस दौरान निवेशकों का उद्देश्य लॉन्ग टर्म से शॉर्ट टर्म में शिफ्ट हो गया है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी अवधि में कंपनी का वास्तविक वित्तीय प्रदर्शन मायने रखता है। जिस वजह से निवेशकों को केवल लिस्टिंग लाभ देखने के बजाय IPO के लिए आवेदन करने से पहले इसके मूल सिद्धांतो को जरूर ध्यान में रखना चाहिए। हम यहां आपको 5 ऐसे कारक बताने जा रहे हैं जिन्हें IPO के लिए आवेदन करने से पहले जरूर ध्यान में रखना चाहिए।

निवेशकों को केवल लिस्टिंग लाभ देखने के बजाय IPO के लिए आवेदन करने से पहले इसके मूल सिद्धांतो को जरूर ध्यान में रखना चाहिए। हम यहां आपको 5 ऐसे कारक बताने जा रहे हैं जिन्हें IPO के लिए आवेदन करने से पहले जरूर ध्यान में रखना चाहिए।

कंपनी के बिजनेस को समझना

निवेशकों को किसी भी IPO के लिए आवेदन करने से पहले उसके बिजनेस मॉडल, रेवेन्यू जनरेट करने के तरीके और कंपनी की लागत संरचना के बारे में जरूर पता कर लेना चाहिए। साथ ही कंपनी के स्केलेबल बिजनेस मॉडल के बारे में भी पता करना जरूरी है। इसके अलावा कंपनी के उत्पादों या सेवाओं के अप्रचलित होने और हो रहे तकनीकी परिवर्तनों के लिए जल्दी से अनुकूल होने की क्षमता के बारे में भी जरूर विचार करना चाहिए। इन सभी जरूरी पहलुओं पर अच्छे से गौर करने के बाद ही आपको IPO में निवेश करना चाहिए।

कंपनी का फाइनेंशियल प्रदर्शन

IPO दाखिल करने वाली हर एक कंपनी सेबी को एक DRHP (draft red herring prospectus) जमा करती है। DRHP में, कंपनी कम से कम पिछले तीन वर्षों के लिए अपने फिनांशियल्स के बारे में बताती है। निवेशकों को यह देखना चाहिए कि क्या इसके रेवेन्यू, लाभ और परिचालन मापदंडों जैसे नेट प्रॉफिट मार्जिन, ऑपरेटिंग मार्जिन, डेट टू इक्विटी अनुपात आदि में स्पष्ट रुझान है। यदि कोई कंपनी घाटे में चल रही है, तो यह देखना जरूरी है कि इसका रेवेन्यू लगातार बढ़ रहा है या नहीं। इसके अलावा लो डेब्ट टू इक्विटी रेशियो और रिड्यूसिंग डेब्ट, रेवेन्यू में उछाल, IPO लाने वाले साल में कंपनी का रेवेन्यू और फ्रॉफिट, डेब्ट और दूसरी देनदारियां, इनर कंपनी ट्रांजैक्शन के बारे में पता करना भी बेहद जरूरी है

IPO लाने का उद्देश्य

यदि कंपनी फ्रेश कैपिटल को बढ़ाने जिसका प्रयोग बिजनेस को आगे ले जाने में किया जाना है, जैसे उद्देश्य के लिए IPO लाया जा रहा है तो यह शुरुआती निवशकों और PE फंड्स से बाहर निकलने के उद्देश्य से लाए गए IPO से अधिक बेहतर होता है।

आकस्मिक देनदारी की जांच करना

कंपनी के खिलाफ चल रहे पेटेंट या राइट्स इश्यू या किसी अन्य चीज के बारे में चल रहे किसी भी तरह के कानूनी मामले के बारे में पता करना जरूरी होता है। क्योंकि कंपनी के कानूनी केस हारने पर आकस्मिक देयता का कारण बन सकती है। यह भी देखें कि क्या कंपनी के खिलाफ किसी धोखाधड़ी, विवाद आदि के संबंध में कोई शिकायत है।

सूचीबद्ध कंपनियों के साथ फाइनेंशियल तुलना करना

किसी कंपनी की फाइनेंशियल स्टेटस का विश्लेषण करते समय, निवेशकों को उनकी तुलना अन्य सूचीबद्ध कंपनियों से करनी चाहिए। कंपनी केprice-to-earnings अनुपात को प्रतिस्पर्धियों के प्रति कंपनी की विकास संभावनाओं के साथ तुलना की जानी चाहिए।

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