आदिवासी समाज ने राज्यपाल से EX CM- गृहमंत्री पर FIR की मांग

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एडसमेटा गोलीकांड में न्यायिक जांच रिपोर्ट सरकार के पास पहुंचने के साथ ही बवाल बढ़ने लगा है। सर्व आदिवासी समाज ने राज्यपाल अनुसूईया उइके से मुलाकात कर घटना के समय रहे मुख्यमंत्री, गृहमंत्री पुलिस अधीक्षक, महानिरीक्षक और पुलिस महानिदेशक पर हत्या की धाराओं में FIR कराने की मांग की है। नेताओं ने कहा, वे कई महीनों से इसके लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार नहीं सुन रही।

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम और प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई की अगुवाई में राज्यपाल अनुसूईया उइके से मुलाकात की। आदिवासी नेताओं ने कहा, एडसमेटा, सारकेगुड़ा और ताडमेटला कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट से साफ हो चुका है कि मारे गए लोग निर्दोष आदिवासी थे। ऐसे में तत्कालीन SP, IG, DGP, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के खिलाफ हत्या की धाराओं में अपराध दर्ज होना चाहिए। पीड़ितों को पर्याप्त और उचित मुआवजा मिलना चाहिए। वहीं इन घटनाओं के बाद जिस पुलिस अधिकारी को पदोन्नति और बहादुरी का मेडल आदि मिला है उसे वापस लेना चाहिए। इसके अलावा पंडो और कुडाकू कोरवा जनजाति के लोगों की खून की कमी से हो रही मौत की रिपोर्ट पर भी कार्रवाई की मांग की गई है। समाज ने सिलगेर गोली कांड में मृतकों के परिजनों को 50 लाख रुपए का मुआवजा, परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी की मांग की। वहीं नक्सल समस्या के स्थायी समाधान की मांग भी उठाई। राजभवन पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में मानक दरपट्‌टी, रामनाथ साय, अमृत मरावी, राजकुमार मुर्मू, सुखू प्रधान, बीएस नागेश, चेतन मरकाम आदि शामिल थे।

पेसा और मेसा कानून की मांग

आदिवासी समाज ने राज्यपाल के सामने अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा और मेसा कानून मांगा है। उनका कहना है, ऐसा होने पर ही आदिवासियों के अधिकार और संस्कृति को सुरक्षित रखा जा सकता है। मेसा कानून से खनिजों के खनन पर समुदाय का अधिकार होगा।

आदिवासी जमीनों का मुद्दा उठाया

राज्यपाल से मुलाकात के दौरान जमीन का मामला उठा। नेताओं ने कहा, आदिवासी सलाहकार परिषद के जरिए आदिवासी जमीनों की खरीद-बिक्री पर सुझाव मांगा गया है। उनकी मांग है कि यह परिषद की समिति आदिवासी समाज और समाज प्रमुखों से सलाह ले।

आरक्षण का भी मुद्दा प्रमुख रहा

राजभवन में सभी भर्तियों में आरक्षण रोस्टर का पालन, पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा। अनुसूचित क्षेत्रों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियों में 100 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की भी मांग उठी। वहीं फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर नौकरी कर रहे लोगों पर शीघ्र कार्रवाई को भी आग्रह किया।

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