वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। यहां उन्होंने भाजपा सदस्यता कार्यक्रम में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री ने भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाए जाने पर जोर देते कहा- पेशेवर निराशावादियों से सतर्क रहें। वे समाधान देने की जगह संकट में डाल सकते हैं।
इससे पहले मोदी ने एयरपोर्ट पर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की कांस्य मूर्ति का अनावरण किया। इसके बाद उन्होंने हरहुआ गांव में पौधरोपण अभियान की शुरुआत की। इसके तहत 27 लाख पौधे लगाए जाएंगे। दोबारा प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद यह उनका दूसरा बनारस दौरा है।
‘वृक्षारोपण का अभियान योगीजी के नेतृत्व में शुरू हुआ’
मोदी ने कहा- यह संयोग हैं कि भाजपा का सदस्यता कार्यक्रम अमरत्व पात्र हमारी काशी में हो रहा है। यानी एक त्रिवेणी बनी है। काशी और देशभर के कार्यकर्ताओं को सफल अभियान के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे एयरपोर्ट पर स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री जी की प्रतिमा का अनावरण करने का मौका मिला। उसके बाद वृक्षारोपण का बहुत बड़ा अभियान योगीजी के नेतृत्व में आरंभ हुआ है।
‘5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने को लेकर कोई शक नहीं’
प्रधानमंत्री ने कहा- एक बहुत बड़े लक्ष्य पर आपसे और प्रत्येक देशवासी से बात करना चाहता हूं। यह लक्ष्य सिर्फ सरकार का नहीं है। यह लक्ष्य हर भारतीय का है। कल आपने बजट में और उसके बाद टीवी पर चर्चाओं में और आज अखबारों में एक बात पढ़ी सुनी देखी होगी। चारों तरफ एक शब्द गूंज रहा है। वह है 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी। आखिर इसका मतलब क्या है। यह आपके लिए जानना और घर-घर जाकर बताना भी जरूरी है। कुछ लोग हैं जो हम भारतीयों के सामर्थ्य पर शक कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि भारतीयों के लिए यह लक्ष्य हासिल करना बहुत मुश्किल है। साथियों जब यह बात सुनता हूं तो काशी के बेटे के मन में कुछ अलग ही भाव जगते हैं।
‘‘मैं यही कहना चाहता हूं कि वो जो सामने मुश्किलों का अंबार है। उसी से तो मेरे हौसलों की मीनार है। चुनौतियों को देखकर घबराना कैसा, इन्हीं में तो छिपी संभावना अपार है। विकास के यज्ञ में परिश्रम की महक है। यही तो मां भारती का अनुपम श्रृंगार है। गरीब-अमीर बने नए हिंद की भुजाएं हैं। बदलते भारत की यही तो पुकार है। देश पहले भी चला और आगे भी बढ़ा अब न्यू इंडिया दौड़ने को बेताब है। दौड़ना ही तो न्यू इंडिया का सरोकार है।’’
‘केक जितना बड़ा होगा, उतना ज्यादा लोगों को मिलेगा’
मोदी ने कहा- 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का मतलब होता है 5 लाख करोड़ डॉलर। आज हमारी अर्थव्यवस्था का जो आकार है उसका लगभग दोगुना। मैं खुद अर्थशास्त्री नहीं हूं। मुझे इसका अ भी नहीं आता। लेकिन जिस लक्ष्य की मैं आपसे बात कर रहा हूं उससे आपका उत्साह बढ़ेगा। यही मुसीबतों से मुक्ति का मार्ग है। अंग्रेजी में कहावत होती है कि साइज ऑफ द केक मैटर्स। यानी जितना बड़ा केक होगा, उतना ज्यादा लोगों को मिलेगा। इसी लिए हमने भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है। अर्थव्यवस्था जितनी बड़ी होगी, उतनी ही लोगों की आमदनी बढ़ेगी और जीवनशैली में परिवर्तन होगा।
‘‘आप दूसरे देश को देखेंगे तो पता चलेगा कि वहां भी प्रतिव्यक्ति आय ज्यादा नहीं होती थी। लेकिन एक समय आया, जब इन देशों में प्रतिव्यक्ति ज्यादा हो गई। यह वह समय था जब देश विकासशील से विकसित देशों की श्रेणी में आ गए। भारत अब लंबा इंतजार नहीं कर सकता। भारत जब सबसे युवा देश है तो यह लक्ष्य भी मुश्किल नहीं है। जब किसी देश में प्रतिव्यक्ति आय बढ़ती है तो वह खरीद क्षमता बढ़ाती है। जब क्षमता बढ़ती है, डिमांड बढ़ती है। इसी से सर्विस बढ़ती है और रोजगार के मौके बनते हैं।’’
‘बजट में 10 साल का विजन’
मोदी ने कहा- हमारे दिमाग में गरीबी एक वर्च्यू बन गया है। हम बचपन में सत्यनारायण की कथा सुनते थे, उसकी शुरुआत एक गरीब ब्राह्मण से होती है। यानी शुरुआत ही गरीबी से होती थी। कल जो बजट प्रस्तुत किया गया, उसमें सरकार ने यह नहीं कहा कि इसमें इतना दिया गया। 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को भारत कैसे प्राप्त कर सकता है। यह हमने दिखाया और बताया कि आने वाले 10 साल के विजन के साथ हम मैदान में उतरे हैं। उसका एक पड़ाव है ये पांच साल। आज देश खाने-पीने के मामले में आत्मनिर्भर है तो इसके पीछे देश के किसानों का सतत परिश्रम है। अब हम किसानों को उत्पादक से आगे एक्सपोर्टर के रूप में देख रहे हैं। हमारे पास निर्यात की क्षमता है। फूड प्रोसेसिंग से लेकर मार्केटिंग तक के लिए निवेश बढ़ाया गया है।
‘पेशेवर निराशावादियों से सतर्क रहें’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- कुछ लोग कहते हैं कि यह क्यों किया जा रहा है, वो क्यों किया जा रहा है। ऐसे लोग प्रोफेशनल पेसिमिस्ट यानी पेशेवर निराशावादी होते हैं। उदाहरण के तौर पर जब आप इनके पास कोई समस्या लेकर जाएंगे तो वे आपको समाधान की जगह संकट में डाल देंगे। समाधान को संकट में कैसे बदलना है, यह निराशावादी की पहचान होती है। 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य के लिए सकारात्मकता भरना यह भी तो लोगों की जिम्मेदारी है। गंभीर से गंभीर बीमारी की स्थिति में भी डॉक्टर मरीज का उत्साह बढ़ाता है। क्योंकि अगर पेशेंट उत्साह से भर जाएगा तो बीमारी को परास्त कर सकता है। देश को निराशावादी लोगों से सतर्क रहने की जरूरत है। हम यह चर्चा कर सकते हैं कि मोदी जो बता रहे हैं वो ठीक है या नहीं और चर्चा करते हुए नए सुझाव भी देने चाहिए। लेकिन 5 ट्रिलियन का लक्ष्य नहीं होना चाहिए। इतना बड़ा लक्ष्य नहीं रखना चाहिए। इससे बचना चाहिए। देश के विद्वानों की राय हमारे लिए अहम है।
पिछली बार 27 मई को आए थे मोदी
लोकसभा चुनाव के बाद मोदी का अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में यह दूसरा दौरा होगा। इससे पहले वह 27 मई को शहर के मतदाताओं को भारी मतों से विजयी बनाने के लिए धन्यवाद देने आए थे। शनिवार के कार्यक्रम के मद्देनजर हरहुआ प्राथमिक विद्यालय की दीवारों पर पर्यावरण से जुड़ी पेंटिंग बनाई गई हैं।
पहले कार्यकाल में 19 बार किया था काशी का दौरा
मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में 19 बार वाराणसी आए। इस दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में शिरकत की और कई बार काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन भी किए।