गिरिपार क्षेत्र के शिलाई के तहत द्राबिल गांव में ग्रामीणों ने सामूहिक बैठक कर शादी के खर्चे को कम करने के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब लड़के की शादी की धाम एक ही दी जाएगी, पहले यह आयोजन 4 दिन तक चलता था। इस फैसले की क्षेत्र में लोग प्रशंसा कर रहे हैं। द्राबिल पंचायत के प्रधान मदन सिंह शर्मा, लखीराम, आत्मा राम, बस्ती राम, दुला राम, जगत सिंह व गुलाब सिंह ने बताया कि शादी का कार्यक्रम 4-4 दिन तक किया जाता है। इसमें फिजूल खर्चा होता है। आज के दौर में किसी के पास इतना समय भी नहीं है कि 4 दिन तक शादी में रुक सकें। इसलिए गांव के लोगों ने बैठक का आयोजन किया। पहले यहां पर चार दिन तक (पहले दिन मामा स्वागत, दूसरे दिन बारात लेकर जाना और दुल्हन लाना, तीसरे दिन लंच और 3 दिन बाद पुलटोज) शादी चलती थी। अब इसे बंद कर दिया गया है।
अब सामूहिक निर्णय लिया है कि दुल्हन के आने के बाद सिर्फ एक धाम (रिसैप्शन) दी जाएगी। लड़की की शादी में भी इसी तरह का कार्यक्रम होगा। इस निर्णय का उल्लंघन करने वाले का हुका-पानी बंद कर दिया जाएगा, साथ ही अर्थदंड जिसमें बकरा और पूरे गांव को भोज देने का फैसला लिया गया है। यह निर्णय गांव के ईष्ट देवता महासू के प्रांगण में लिया गया है। यहां पर सभी ने देवता की कसम खाई और गलत रिवाज तोड़ने का वचन दिया है। गौरतलब है कि ट्रांसगिरी के शिलाई क्षेत्र में शादी समारोह एक सप्ताह तक चलते रहते हैं, जिसमें लाखों रुपए खर्च होते हैं। इस परंपरा को वे लोग तो निर्वहन कर पा रहे हैं जिनके पास रोजगार है, लेकिन उनकी देखा-देखी में गरीब लोग मारे जा रहे हैं। वह एक शादी का कर्ज 2-2 पीढ़ियों तक नहीं चुका पा रहे हैं। द्राबिल गांव की इस पहल का क्षेत्र के लोग स्वागत कर रहे हैं।