नई दिल्ली। देश के ऐतिहसिक टैक्स सुधार वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स-GST) को लागू हुए दो साल पूरे हो चुके हैं। इसे 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। दो साल में जीएसटी का रास्ता काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा, तो इससे देश में कई महत्वपूर्ण बदलाव भी हुए
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने “Two Years After GST” शीर्षक से फेसबुक पर एक ब्लॉग लिखकर यह टिप्पणी की है। जेटली ने फेसबुक पर लिखा, एक संघीय ढांचे में केंद्र और राज्य दोनों वस्तुओं पर अप्रत्यक्ष कर लगाने के हकदार थे। राज्यों के पास कई कानून थे जो उन्हें अलग-अलग बिंदुओं पर कर लगाने का अधिकार देते थे। सबसे पहले, राज्यों को सहमत करना बहुत बड़ा काम था। दूसरी बात, संसद में सहमति बनाना भी पहाड़ चढ़ने जैसा था। राज्यों को अज्ञात डर से डराया गया था। जिन महत्वपूर्ण बिंदुओं ने सरकार को राज्यों को राजी करने में सक्षम किया, उन्हें 2015-16 के कर आधार से पांच साल की अवधि के लिए 14% वार्षिक वृद्धि के साथ फंड देना था।
Posted by Arun Jaitley on Sunday, 30 June 2019
अरुण जेटली ने ब्लॉग में लिखा है। GST ने सभी 17 अलग-अलग कानूनों को मिला दिया और एक एकल कराधान बनाया। जीएसटी से पहले वैट के लिए मानक दर 14.5% थी, 12.5% पर उत्पाद शुल्क और सीएसटी और कर पर कर के प्रभाव के साथ जोड़ा गया था। जिससे उपभोक्ता द्वारा देय कर 31% हो गया था। राज्य मनोरंजन कर के रूप में 35% से 110% कर लगा रहे थे। करदाताओं को कई रिटर्न भरने होते थे, कर निरीक्षकों का मनोरंजन करना होता था। एक जीएसटी ने इस परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया। आज केवल एक कर है, ऑनलाइन रिटर्न, नो एंट्री टैक्स, कोई ट्रक कतार और कोई अंतर-राज्य बाधाएं नहीं हैं।