15 दिन से चल रही हड़ताल, मनरेगा के काम ठप

0
47

मप्र में प्रवासी मजदूरों और गांव में काम करने वाले श्रमिकों के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। पंद्रह दिन से चल रही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जिन 11 लाख से अधिक मजदूरों को रोज काम मिलता था, यह संख्या घटकर 32 हजार रह गई है।

कुल 1 करोड़ 20 लाख मजदूरों की तुलना में यह 0.27 प्रतिशत है। ऐसी स्थिति मप्र के इतिहास में पहली बार बनी है, जब मनरेगा के काम हड़ताल के कारण ठप हो गए हैं। मजदूरों को रोज की मजदूरी का 193 रुपए मिलता है।

पिछले साल 5 अगस्त के ही दिन 10.65 लाख लोगों को रोजगार मिला था। पिछली कैबिनेट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हड़तालियों के अर्द्धनग्न प्रदर्शन पर नाराजगी जाहिर की थी। कहा था कि अनुशासनहीनता के सामने कोई बात नहीं होगी।

हड़ताल के दिन से घटी मजदूरी

हड़ताल शुरू होने के 1 दिन पहले 21 जुलाई को मप्र में 11 लाख 14 हजार 699 को रोजगार मिला, यह भी कुल मजदूरों 1.20 करोड़ का करीब 10 फीसदी है। इसके ठीक बाद 22 जुलाई से हड़ताल शुरू हो गई थी।

सरकार के बचे 100 करोड़ से अधिक… रोज श्रमिकों को काम और 193 रुपए मजदूरी के हिसाब से 20 से 21 करोड़ का भुगतान होता है। पिछले छह दिनों से तो एक लाख श्रमिकों को भी काम नहीं मिला, जबकि यह 10 लाख से अधिक होता था।

आज से काम मिलने लगेगा

सभी संगठनों को गुरुवार बुलाया गया और उनसे परस्पर बात हुई। पेंशन, वेतन, भत्ते और निकाले गए लोगों की बहाली समेत कई मांगों पर सहमति बन गई है। शुक्रवार से मजदूरों को काम मिलना शुरू हो जाएगा।
महेंद्र सिंह सिसोदिया, मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here