भारत में बीते 13 जुलाई को मंकी पाक्स का पहला मरीज मिलने के बाद बिहार में भी स्वास्थ्य विभाग अलर्ट माेड में है। विभाग संक्रमण के सर्विलांस एवं जांच पर विशेष जोर दे रहा है। इसके लिए हर जिले के माइक्रोबायलोजिस्ट और लैब टेक्नीशियन को पटना में प्रशिक्षण दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि बिहार से अब तक कोई संक्रमित नहीं मिला है। इससे घबराने की जरूरत नहीं, जरूरी इसे लेकर एहतियात बरतने की है।मंकी पाक्स एक संक्रामक वायरस है। इसके संक्रमण से चेहरे, हथेलियों, पैरों, पीठ व पैर के तलवे में चकत्ते बन जाते हैं। यह चेचक की तरह का वायरल संक्रमण है। इसका पहला मामला साल 1970 में सामने आया था। यह संक्रमण मुख्य रूप से मध्य व पश्चिम अफ्रीका के में होता रहा है। भारत के कुछ राज्यों में यह दस्तक दे चुका है। हालांकि, बिहार में अभी इसका कोई मामला नहीं मिला है।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि बिहार में मंकी पाक्स के संदिग्ध मरीजों के सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेजे जाएंगे। राज्य में अभी तक इस संक्रमण का मामला नहीं मिला है, लेकिन सरकार संभावित खतरे को लेकर अलर्ट है। इसके तहत सर्विलांस एवं जांच पर जोर दिया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस बीमारी से बचाव, पहचान व जांच को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों की प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत बीते दिन हर जिले से माइक्रोबायलोजिस्ट और लैब टेक्नीशियन को पटना बुलाकर प्रशिक्षण दिया जा चुका है। सभी मेडिकल कालेज के माइक्रोबायलोजी के विभागाध्यक्ष, एपीडीमीलोजिस्ट, सभी जिला से एक-एक लैब टेक्नीशियन एवं प्रदेश के सभी जिला अस्पताल के एक-एक डेटा एन्ट्री आपरेटर को मंकी पाक्स की जानकारी दी गयी।
सभी जिलों में स्वास्थ्य विभगा को अलर्ट करते हुए मंकी पाक्स के संदिग्ध मरीजों के जांच सैंपल कलेक्शन का निर्देश दिया गया है। ये सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेजे जाने हैं। सैंपल लेने के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा मानकों का पालन करना है।मोतिहारी के डा. अतुल कुमार बताते हैं कि बुखार के साथ कमजाेरी व सिरदर्द मंकीपाक्स के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, यह समान्य बुखार भी हाे सकता है। गाेपालगंज के डा. संदीन कुमार के अनुसार सामन्यत: मंकीपाक्स वायरस का संक्रमण चेहरे पर दिखता है। यह संक्रमण 14 से 21 दिनों तक रहता है। इस संक्रमण के कुछ लक्षण ये हैं…
- बार-बार तेज बुखार चढ़ना।
- गला की खराबी तथा बार-बार की खांसी।
- मांसपेशियों व पीठ में दर्द होना।
- त्वचा पर दानें, चकत्ते व खुजली।
- चेहरे, हाथ-पैर और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस का होना।
मंकी पाक्स संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। राहत की बात यह है कि ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है। मंकीपाक्स संक्रमण से बचाव ही एकमात्र उपाय है। चेचक का टीका मंकी पाक्स का संक्रमण रोकने में 85 प्रतिशत तक प्रभावी माना गया है। बिहार में स्वास्थ्य विभाग ने मंकी पाक्स को लेकर सावधानी की गाइडलाइन जारी की है। मंकी पाक्स के लक्षण वाले व्यक्ति को तुरंत डाक्टर से संपर्क करना है। उसे जांच रिपोर्ट आने तक या जांच में संक्रमण प्रमाणित हो जाने पर इलाज पूरा होने तक आइसोलेशन में रहना है। गाइडलाइन के तहत कोई संदिग्ध मामला दिखने पर उसकी सूचना स्वास्थ्य मुख्यालय को भेजी जानी है। एहतियातन बीते 21 दिनों के अंदर विदेश यात्रा से लौटने वाले लोगों काे भी निगरानी में रखना है। संदिग्ध संक्रमित का जांच सैंपल लेकर जांच के लिए भेजना है। संक्रमित के संपर्क में आए लोगों के भी जांच सैंपल लेने हैं तथा उनको भी आइसोलेशन में रखना है।